Oil Rate : आम जनता को बड़ी राहत सरकार ने कम कर दिए तेल के भाव में आई भारी गिरावट

आम जनता को बड़ी राहत सरकार ने कम कर दिए तेल के भाव में आई भारी गिरावट

Oil Rate : आम जनता को बड़ी राहत सरकार ने कम कर दिए तेल के भाव में आई भारी गिरावट। इन दिनों आम आदमी के लिए राहत भरी खबर है. काफी समय बाद तेल के भाव में कमी देखने मिल रही है, बहुत समय से तेल के भाव आसमान छू रहे थे। परन्तु इस समय तेल के भाव में भरी कटौती देखने मिल रही है। सरकार ने रिफाइंड सोयाबीन (Re और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क 17.5 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया है. वित्त मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों पर काबू के लिए यह कदम उठाया गया है. जिससे आम जनता को बढ़ती हुई महगांई से राहत मिल सकती है।

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सरकार ने लिया बड़ा फैसला

सरकार के इस फैसले से आम जनता को काफी राहत मिल सकती है। 140 रूपये लीटर से तेल के भाव सीधे 95 रूपये के आस पास आ गए है। आमतौर पर भारत रिफाइंड के बजाय ‘कच्चे’ सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का आयात करता है. इसके बावजूद सरकार ने रिफाइंड सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क घटाया है. इस कटौती के साथ रिफाइंड खाद्य तेलों पर प्रभावी शुल्क 13.7 फीसदी हो गया है. इसमें सामाजिक कल्याण सेस भी शामिल है. सभी प्रमुख कच्चे खाद्य तेलों पर प्रभावी शुल्क 5.5 फीसदी है. उम्मीद की जा रही है कि तेल के भाव में और भी कमी देखने मिल सकती है।

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सरकार कम कर रही है तेल के भाव

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि इस कदम का बाजार की धारणा पर कुछ अस्थायी प्रभाव हो सकता है, लेकिन इससे आयात नहीं बढ़ेगा. मेहता ने बयान में कहा, ‘‘आमतौर पर सरकार खाद्य तेलों की कीमतों को नियंत्रण में रखना चाहती है. कच्चे और रिफाइंड सोयाबीन और सूरजमुखी तेलों के बीच कम शुल्क अंतर के बावजूद रिफाइंड सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल का आयात आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं है. इस कदम से बाजार की धारणा पर अस्थायी प्रभाव पड़ेगा.’’

मेहता ने दिया बड़ा बयान

मेहता ने कहा, ‘‘मौसम विभाग ने लगभग सामान्य मॉनसून का अनुमान लगाया है। हालांकि, अल नीनो से पूरी तरह इनकार नहीं किया गया है और इससे सामान्य मॉनसून की संभावना को झटका लग सकता है, जिसके चलते खरीफ फसल और अगले तेल वर्ष 2023-24 में वनस्पति तेलों की घरेलू उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।’’ भारत खाद्य तेलों में अपनी मांग-आपूर्ति के अंतर को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। आयात के जरिये भारत अपनी 60 प्रतिशत खाद्य तेल जरूरत को पूरा करता है।

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