Kheti Samachar : चने की यह किस्म देगी बिना पानी वाली जगह पर भी बम्फर पैदावार, गंभीर सूखे में भी 2 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार

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पूसा जेजी 16

Kheti Samachar : किसानों के लिए खुशखबरी है. सरकार के अनुसंधान समूह, आईसीएआर और आईएआरआई ने ‘पूसा जेजी 16’ नाम से काबुली चने की एक किस्म को विकसित किया है. पूसा जेजी 16 की खासियत है कि इसे कम सिंचाई की जरूरत पड़ती है. यानी इस किस्म की खेती सूखे इलाकों में की जा सकती है. ऐसे में कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस किस्म की खेती करने से मध्य भारत में चने की पैदावार बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

पूसा जेजी 16 किस्म बनाने के लिए जीनोम-सहायता प्राप्त प्रजनन तकनीकों का उपयोग किया गया है. इसने ICC 4958 से सूखा-प्रतिरोधी जीन को मूल किस्म, JG 16 में ट्रांसफर करना संभव बना दिया. काबुली चना अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान कार्यक्रम ने राष्ट्रीय स्तर पर इस किस्म का परीक्षण किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह सूखे का सामना कर सके.

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सूखे से निपटने में सक्षम पूसा जेजी 16 (Drought tolerant Pusa JG 16)

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (JNKVK) जबलपुर, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर और आईसीआरआईएसएटी, पाटनचेरु, हैदराबाद की मदद से पूसा जेजी 16 नई प्रजाति विकसित की है. संस्थान सूखे से निपटने में सक्षम ऐसी ही प्रजाति विकसित करने मे काफी समय से लगे हुए थे. अब काबुली चने की नई प्रजाति पूसा जेजी 16 को विकसित करने में सफलता हाथ लगी है. 

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यहां होगी बंपर पैदावार (There will be bumper yield here)

चने की किस्म Pusa JG 16  MP, उत्तर प्रदेश, CG , दक्षिणी राजस्थान, MH और गुजरात जैसे सूखागस्त क्षेत्रों में उगाई जा सकती है. यहां सूखे की वजह से 50 से 100 फीसदी उपज खराब हो जाती है. ऐसे में काबुली चना की पूसा जेजी-16  सूखा जैसी परिस्थितियों का सामने करते हुए अच्छी उपज देगी.

110 दिन में तैयार हो जाएगी फसल (Crop will be ready in 110 daysCrop will be ready in 110 days)

यह किस्म फ्यूजेरियम विल्ट और स्टंट रोगों के लिए प्रतिरोधी है. काबुली चने की नई किस्म 110 दिनों में तैयार हो जाएगी. Pusa JG 16  से गंभीर सूखे में भी 1.3 टन / हेक्टेयर से2 टन प्रति हेक्टेयर उपज ली जा सकती है. यह किस्म देश के सूखाग्रस्त मध्य भारत के किसानों के लिए जलवायु परिवर्तन की स्थिति से निपटने में वरदान साबित होगी.

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