धान की यह 4 खास किस्म देंगी बम्फर पैदावार, किसानो के लिए काफी फायदेमंद शाबित हो सकती है यह किस्म

धान की यह 4 खास किस्म देंगी बम्फर पैदावार, किसानो के लिए काफी फायदेमंद शाबित हो सकती है यह किस्म .अब कुछ ही समय में किसान बुवाई शुरू कर देंगे। किसान अभी से बीज के जुगाड़ में लग गए है। किसान ऐसे फसल की बुवाई करते है जिसका उत्पादन सबसे ज्यादा हो। उत्पादन ज्यादा होने से किसान हो फायदा होता है। आज हम आपको धान की उन्नत किस्मों के बारे में बताने जा रहे है। इन फसलों से अच्छा उत्पादन किसान भाई निकाल सकते है।
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धान की खेती उन क्षेत्रों में होती है जहाँ पर पानी सबसे अधिक होता है। धान के लिए पानी सबसे ज्यादा लगता है। आज सबसे ज्यादा धान की खेती छत्तीसगढ़ में होती है। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहाँ जाता है। पुरे विश्व में धान के उत्पादन में भारत दूसरे नंबर पर है।
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धान के यह है 4 उन्नत किस्मे
Pusa 834 बासमस्ती धान –

आपको बता दे की Pusa 834 उच्च उपज वाली बासमती धान की एक बेहतरीन किस्म है. इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित किया है. इसमें रोग से लड़ने की क्षमता अधिक पाई जाती है. इसके ऊपर झुलरा रोग का कोई असर नहीं पड़ेगा. पूसा 834 अर्ध- बौनी किस्म है. तेज हवा और आंधी चलने पर भी इसकी फसल खेत में नहीं गिरती है. खास बात है कि यह किस्म 125 से 130 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. यानी कि 130 दिन बाद आप इसकी कटाई कर सकते हैं. अगर पैदावार की बात करें तो 6-7 टन धान आप प्रति हेक्टेयर उत्पादित कर सकते हैं.
Pant Paddy-12 –

Pant Paddy-12 धान की अधिक उपज देने वाली किस्म है जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने G.B. पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी द्वारा विकसित किया है. यह एक अर्ध-बौनी किस्म है जो 110-115 दिनों में पक जाती है और उत्तर भारत के सिंचित क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त है. पंत धान-12 के फायदों में से एक इसकी उच्च उपज क्षमता है. यह प्रति हेक्टेयर 7-8 टन अनाज का उत्पादन कर सकता है, जो पारंपरिक गेहूं की किस्मों की तुलना में काफी अधिक है.
PHB 71 –

इस किस्म को वर्ष 1997 में विकसित किया गया था। औसतन 7 से 8 टन फसल प्रति हेक्टेयर जमीन से प्राप्त किया जा सकता है। फसल करीब 130-135 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी खेती आमतौर पर हरियाणा, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में की जाती है।
SKUAST-K धान –

SKUAST-K धान की एक उच्च उपज वाली किस्म है जिसे भारत में शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया था. यह एक अर्ध-बौनी किस्म है जो 135-140 दिनों में पकती है और जम्मू-कश्मीर के सिंचित क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त है. SKUAST-K के फायदों में से एक इसकी उच्च उपज क्षमता है. यह प्रति हेक्टेयर 6-7 टन धान का उत्पादन कर सकता है, जो पारंपरिक चावल किस्मों की तुलना में काफी अधिक है. SKUAST-K का एक अन्य लाभ सूखा, जलमग्नता और लवणता जैसे विभिन्न तनावों के प्रति इसकी सहनशीलता है. यह इसे उन किसानों के लिए पसंदीदा विकल्प बनाता है जो अपने क्षेत्रों में पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.