Bisleri : टाटा ग्रुप की हुई बिसलेरी इस कारण से बेचा टाटा ग्रुप को, जानिए बिसलेरी का इतिहास

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Bisleri : देशभर में मशहूर बोतलबंद पानी Bisleri अब बिकने जा रही है. खबर है कि टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड 6 से 7 हजार करोड़ में बिसलेरी के बिजनेस का अधिग्रहण करने जा रहा है. इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बिसलेरी इंटरनेशनल के अध्यक्ष, रमेश जे चौहान इसकी योजना बना रहे हैं. बताया जा रहा है कि इस डील के लिए पिछले 2 साल से बातचीत जारी थी.

रमेश जे चौहान ने बताया, हम टाटा ग्रुप के साथ चर्चा कर रहे हैं, अन्य कंपनियां भी मैदान में हैं, लेकिन फिलहाल इस बारे में ज्यादा जानकारी साझा नहीं कर सकते. हम कुछ हिस्सेदारी रखना चाहेंगे. बिसलेरी भारत की सबसे बड़ी पैकेज्ड वाटर कंपनी है और FY23 के लिए टर्नओवर 220 करोड़ के प्रॉफिट के साथ 2,500 करोड़ अनुमानित है.

कई कंपनियों की ओर से दिखाई गई है दिलचस्पी

बिसलेरी की ओर से मिली जानकारी के अनुसार कंपनी को खरीदने की बातचीत आखिरी स्टेज में है. रिलायंस रिटेल, नेस्ले और डैनॉन जैसी कंपनियों ने भी गहरी दिलचस्पी दिखाई है, लेकिन बिसलेरी ने टाटा को चुना है. बिसलेरी ने डील होने को लेकर हां नहीं कहा है, लेकिन यह बयान दिया है कि उसे टाटा पसंद है और बातचीत आखिरी चरण में चल रही है. ये डील 6 से 7,000 करोड़ की हो सकती है. डील के बाद बिसलेरी के मैनेजमेंट में भी कोई चेंज नहीं होगा. बोर्ड मैनेजमेंट दो साल तक जस का तस रहेगा.

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बिसलेरी को टाटा ही क्यों है पसंद?

बिसलेरी ने टाटा ही क्यों चुना है, इसे लेकर कंपनी की ओर से जानकारी मिली है कि उसे टाटा का कल्चर पसंद है और उसे लगता है कि बिसलेरी का जो ब्रांड है, जो पहचान है वो टाटा अच्छे से लेकर आगे जा सकती है. कंपनी ने एन चंद्रशेखर से बात की, वो उनको पंसद आए, उन्हें लगता है कि टाटा ग्रुप बिसलेरी का और बेहतर तरीके से खयाल रखेगा, इसलिए कई कंपनियों की रुचि के बावजूद टाटा उनकी पसंद बना है.

टाटा ग्रुप बेहतर तरीके से बिजनेस बढ़ाएगा

इससे पहले ET ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि चौहान ने कहा- टाटा ग्रुप मेरे बिजनेस की और भी बेहतर तरीके से देखभाल करेगा और आगे बढ़ाएगा। मुझे टाटा का कल्चर पसंद है, इसलिए अन्य खरीदारों के बावजूद मैंने टाटा को चुना। कहा जाता है कि बिसलेरी को खरीदने के लिए रिलायंस रिटेल, नेस्ले और डेनोन सहित कई दावेदार थे।

पैसों का क्या करुंगा, टाटा पर है भरोसा

रमेश चौहान अपने कारोबार के बिकने से बेहद भावुक हैं। उन्होंने कहा कि मैंने ये फैसला पैसों के लिए नहीं लिया है। मैं कंपनी के भविष्य को लेकर चिंतित था। कंपनी को संभालने वाला कोई नहीं है, जो इसका ख्याल उस तरह से रखे जैसे मैंने रखा है। मैंने अपनी जिंदगी लगा दी है इस कंपनी को खड़ा करने में। जब बेटी की दिलचस्पी इस कारोबार को लेकर नहीं दिखी तो मुझे ये फैसला लेना पड़ा। मुझे पैसे नहीं बल्कि वैसे ही जुनूनी लोगों की तलाश थी, जो मेरी इस कंपनी को आगे ले जा सके।

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