किसान भाई इस प्रकार से कर सकते है भांग की खेती और कमा सकते है लाखो रूपये, जाने भांग की खेती से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी

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किसान भाई इस प्रकार से कर सकते है भांग की खेती और कमा सकते है लाखो रूपये, जाने भांग की खेती से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी

किसान भाई इस प्रकार से कर सकते है भांग की खेती और कमा सकते है लाखो रूपये, जाने भांग की खेती से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी। एनडीपीएस एक्ट 1985 की धारा 10, इस अधिनियम की धारा 8 के साथ पठित के अंतर्गत राज्य सरकारों को अधिकार दिया गया है कि वे चिकित्सा और वैज्ञानिक उपयोग के लिए भांग की खेती के लिए अनुमति दे सकती हैं। भांग का चिकित्सा परक उपयोग इस समय बहुत ही सीमित है और होमियोपैथिक और आयुर्वेद में वैकल्पिक दवा के रुप में इसका इस्तेमाल होता है।

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भांग की खेती से कमाये तगड़ा धन

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वास्तव में राज्य सरकारें भांग की खेती की अनुमति नहीं देती है। काफी समय बाद वैज्ञानिकों में भांग की चिकित्सा परक प्रयोग के प्रति अभिरुचि जगी है। भांग की खेती के लिए अनुमति दी जा सकती है। बशर्ते कि इसका प्रयोग चिकित्सा संबंधी प्रयोग के लिए हो। इसकी खेती की अनुमति अनुसंधान के लिए ही दी जा सकती है जिसमें भांग की विभिन्न किस्मों का परीक्षण भी शामिल है।

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कुछ त्योहारों पर किया जाता भांग का सेवन

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भांग को भांग की पत्तियों से तैयार किया जाता हैं, भारत में जिसका सेवन कुछ त्योहारों के समय किया जाता है। चूंकि इसे भांग की रेसिन या फूल से तैयार नहीं किया जाता है अत – इसे एनडीपीएस एक्ट 1985 के अंतर्गत नहीं लाया गया है। कई राज्य सरकारों ने भांग के उत्पादन और उसकी बिक्री की अनुमति दे रखी है। जिसके पास इस तरह का लाइसेंस होता है वह भांग का उत्पादन कर सकता है। लेकिन वह इसे जंगली भांग की पत्तियों से पैदा कर सकता है। वे फूलों और पौधों के रेसिन का उपयोग नहीं कर सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति भांग में फूलों और रेसिन का प्रयोग करता हुआ पाया जाता है तो उसे एनडीपीएस एक्ट, 1985 के सुसंगत प्रावधानों के अंतर्गत दंडित किया जायेगा और यदि लाइसेंस शुदा व्यक्ति ऐसा करता है तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।

औद्योगिक उद्दश्यों के लिए भांग की खेती

भांग के पौधों का प्रयोग बायोमास के स्रोत के रुप में हो सकता है और औद्योगिक उद्देश्य के लिए इसका रेशे के रुप में इस्तेमाल किया जा सकता है। भांग के बीज की पैदावार भांग बीज के तेल के लिए की जा सकती है जिसकी कीमत बहुत अधिक होती है। कुछ देश भाग की ऐसी किस्मों की खेती के लिए लाइसेंस जिसमें टेट्राहाइड्रो कैन्नाबिनोल (टीएचसी) की बहुत कम मात्रा होती है, जिसका प्रभाव नशा पैदा करना होता है। भांग की इन किस्मों का उत्पादन फाइबर उत्पादन के लिए होता है जिसका इस्तेमाल फेब्रिक्स और बायोमास के उत्पादन में किया जा सकता है।

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एनडीपीएस एक्ट की धारा 14 के तहत् सरकार को यह शक्ति प्रदान की गई है कि वह विशेष आदेश जारी करके केवल वैज्ञानिक और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भांग की खेती की अनुमति दे सकती है। केन्द्र सरकार भांग की कम टीएचसी वाली किस्मों के अनुसंधान और परीक्षण को बढ़ावा दे सकती है। हालांकि केन्द्र सरकार बागवानी और/या औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भांग की खेती के प्रति सावधानीपूर्ण और साक्ष्य आधारित दृष्टिकोण अपना सकती है और अनुसंधान परिणामों के आधार पर निर्णय ले सकती है।

कोका बुश की खेती

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एनडीपीएस एक्ट की धारा 9 के अंतर्गत केन्द्र सरकार को यह शक्ति प्रदान की गई है कि वह चिकित्सा और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए कोका बुश की खेती के लिए अनुमति दे सकती है। केन्द्र सरकार ने अभी तक भारत में कोकाबुश की खेती के लिए अनुमति नहीं दी है। केन्द्र सरकार इस नीति को जारी रखेगी तथा केवल शोध के प्रयोजनार्थ किसी खेती के लिए लाइसेंस देने पर विचार करेगी।

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