माँ दुर्गा के यह है सबसे प्राचीन मंदिर नवरात्र में करे अवश्य दर्शन, आपको हर मनोकामना होंगी पूर्ण !

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माँ दुर्गा

माँ दुर्गा के यह सबसे प्राचीन मंदिर नवरात्र में करे अवश्य दर्शन, आपको हर मनोकामना होंगी पूर्ण !.नवरात्रि हिंदुओं का सबसे बड़े त्योहारों है, जिसे देश ही नहीं बल्कि विदेशो में काफी धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्रि पर माँ दुर्गा के नव रूपों की पूजा की जाती है। इस मौके पर भक्त माता रानी के लिए व्रत भी रखते है। आज हम आपको माँ दुर्गा के प्राचीन मंदिरो के बारे में बताने जा रहे। इन मंदिरो में काफी भीड़ होती है। ऐसा कहा जाता है की भक्त इन मंदिरों में जो भी मनोकामना मांगते है वह पूर्ण हो जाती है।

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वैष्णो देवी मंदिर

आपको बता दे की यह भारत के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है, इस मंदिर में नवरात्री के अलावा भी साल भर भक्तो की भीड़ देखने मिलती है. यह मंदिर जम्मू-कश्मीर के कटरा जिले में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा यहां चट्टानों के रूप में एक गुफा के अंदर निवास करती हैं. यह मंदिर कटरा से 13 किलोमीटर की चढ़ाई पर है.

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर

आपको बता दे की इस मंदिर में माता सती का दाहिना पैर गिरा था. यह मंदिर पूर्वोत्तर भारतीय राज्य त्रिपुरा के उदयपुर शहर में स्थित है. इस मंदिर में मां काली की पूजा सोरोशी के रूप में की जाती है. त्रिपुर सुंदरी…। त्रिपुर यानी तीनों लोकों (आकाश, धरती और पाताल) की श्रेष्ठ सुंदरी। ये 51 शक्तिपीठों में से एक है।

मंगला गौरी मंदिर, गया (बिहार)

मान्यता है कि यहां मां सती का वक्ष स्थल (स्तन) गिरा था, जिस कारण यह शक्तिपीठ ‘पालनहार पीठ’ या ‘पालनपीठ’ के रूप में प्रसिद्ध है. यहां भी आपको काफी मात्रा में भक्तो की भीड़ देखने मिलती है। इस मंदिर में आकर जो भी सच्चे मन से मां की पूजा व अर्चना करते है, मां उस भक्त पर खुश होकर उसकी मनोकामना को पूर्ण करती है। ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा करने वाले किसी भी भक्त को मां मंगला खाली हाथ नहीं भेजती है। 

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दंतेश्‍वरी मंदिर, छत्तीसगढ़

देश के 52 शक्तिपीठों में से एक छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर। ऐसी मान्यता है कि यहां सती का दांत गिरा था, जिसके कारण जगह का नाम दंतेश्वरी पड़ा. इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में चालुक्यवंश के राजाओं ने करवाया था.

दुर्गा मंदिर, वाराणसी

यह मंदिर रामनगर में स्थित है. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक बंगाली महारानी ने 18 वीं सदी में करवाया था. यह मंदिर, भारतीय वास्तुकला की उत्तर भारतीय शैली की नागर शैली में बनी हुई है. इस मंदिर में एक वर्गाकार आकृति का तालाब बना हुआ है जो दुर्गा कुंड के नाम से जाना जाता है. यह इमारत लाल रंग से रंगी हुई है जिसमें गेरू रंग का अर्क भी है. मंदिर में देवी के वस्त्र भी गेरू रंग के है. एक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में स्थापित मूर्ति को मनुष्य द्वारा नहीं बनाया गया है बल्कि यह मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी, जो लोगों की बुरी ताकतों से रक्षा करने आई थी. नवरात्रि और अन्य त्योहारों के दौरान इस मंदिर में हजारों भक्‍तगण श्रद्धापूर्वक आते हैं.

श्री महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर

श्री महालक्ष्मी मंदिर विभिन्न शक्ति पीठों में से एक है और महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है. यहां जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आता है, मां के आशीर्वाद से वह मुराद पूरी हो जाती है. भगवान विष्णु की पत्नी होने के नाते इस मंदिर का नाम माता महालक्ष्मी पड़ा.

नैना देवी मंदिर, नैनीताल

नैनीताल में, नैनी झील के उत्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर स्थित है. 1880 में भूस्खलन से यह मंदिर नष्‍ट हो गया था. बाद में इसे दोबारा बनाया गया. यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है. मंदिर में दो नेत्र हैं, जो नैना देवी को दर्शाते हैं.

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