स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है कड़कनाथ मुर्गा, आज ही शुरू करे कड़कनाथ मुर्गी पालन और कमाए लाखो रूपये

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स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है कड़कनाथ मुर्गा, आज ही शुरू करे कड़कनाथ मुर्गी पालन और कमाए लाखो रूपये

स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है कड़कनाथ मुर्गा, आज ही शुरू करे कड़कनाथ मुर्गी पालन और कमाए लाखो रूपये। मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचल की पहचान बन चुका कड़कनाथ मुर्गा (Kadaknath Chicken) व्यावसायिक दृष्टि से बेहद फायदेमंद है. इसका पालन करके महज तीन-चार महीनों में ही अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. आदिवासियों में कालीमासी के नाम से प्रसिद्ध कड़कनाथ एक तरफ खाने में बेहद स्वादिष्ट तो दूसरी तरफ पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है. यही वजह है कि दिनों-दिन इसकी मांग बढ़ती जा रही है

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दरअसल, ब्रायलर या दूसरी नस्लों के मुर्गीपालन में 20-30 फीसदी मुनाफा मिलता है, वहीं कड़कनाथ मुर्गीपालन में 60-70 से प्रतिशत का शुद्ध मुनाफा मिल सकता है. जहां ब्रायलर मुर्गीपालन के लिए लाखों रूपए को निवेश करना पड़ता है, वहीं कड़कनाथ मुर्गीपालन बेहद कम इन्वेस्टमेंट में ही शुरू किया जा सकता है. वर्तमान में इसके अंडों के साथ-साथ मांस की भी बाजार में अच्छी खासी डिमांड है. यही वजह हैं कि लोग ब्रायलर या दूसरे मुर्गों की तुलना में दो से तीन गुणा दाम चुकाने को तैयार रहते हैं. कड़कनाथ पालन लघु और सीमांत किसानों के लिए यह अतिरिक्त आय अर्जित करने का बेहतर माध्यम बन गया है. तो आइए जानते हैं कड़कनाथ मुर्गीपालन कैसे शुरू करें? और इसके लिए चूजे कहां से मिलेंगें?

इस जिले की मुल प्रजाति है. कड़कनाथ मुर्गा

धार कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जी.एस. गाठिए का कहना हैं यह मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले की मुल प्रजाति है. 2007 के बाद से धार जिले में भी इसके संरक्षण और संवर्धन का काम तेजी से हुआ है. इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र, धार ने जिले के आदिवासी अंचल के युवाओं को कड़कनाथ मुर्गीपालन के लिए प्रोत्साहित किया. केंद्र में एक हैचरी का निर्माण कराया गया, जहां से युवाओं को कड़कनाथ पालन के लिए चूजे उपलब्ध कराए जाते हैं. उन्होंने बताया कि केंद्र के प्रयासों से आज देश के महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक और दिल्ली समेत कई राज्यों में कड़कनाथ पालन हो रहा है.

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कड़कनाथ मुर्गा क़ाफी गर्म होता है

डॉ. गाठिए ने बताया कि कड़कनाथ मुर्गे की तासीर गर्म होती है. इसके पालन के लिए ठंड के दिनों में 38 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए. वैसे तो यह मूलतः झाबुआ जिले में पाया जाता है, लेकिन इसका पालन देश के विभिन्न इलाकों में किया जा सकता है. यही वजह है कि आज मध्य प्रदेश के झाबुआ, धार के अलावा खंडवा, इंदौर, सीहोर, बड़वानी, श्योपुर और ग्वालियर जिलों में इसका बडे़ स्तर पर पालन किया जा रहा है.

कड़कनाथ मुर्गे से होंगी अच्छी कमाई

कड़कनाथ मुर्गे से होंगी अच्छी कमाई। कड़कनाथ अपने पौष्टिक गुणों के लिए देश-दुनिया में विख्यात है, लेकिन अब यह व्यावसायिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनता जा रहा है. डॉ. गाठिए ने बताया कि 10X15 के कमरे की जगह में इसका बिजनेस शुरू किया जा सकता है. इतनी जगह में 90 से 100 चूजों को पालन आसानी से किया जा सकता है. तीन से साढ़े तीन महीनों में यह एक से डेढ़ किलो वजनी हो जाता है. जो बाजार में 600 रूपए प्रति किलोग्राम तक आसानी से बिक जाता है. इस तरह महज तीन से चार महीने के चक्र में 100 चूजों से 60 हजार रूपए की कमाई की जा सकती है. वहीं साल में तीन चक्र होते हैं, ऐसे में महज एक साल में लागत निकालकर एक से सवा लाख रूपए का शुद्ध मुनाफा कमाया जा सकता है.

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मध्य प्रदेश को मिला जी आई टैग

कड़कनाथ के अंडे और मांस स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से काफी फायदेमंद है. इसके अंडे-मांस में जहां प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, वहीं इसमें कोलेस्ट्रॉल की बेहद कम मात्रा होती है. यही वजह है कि ब्लेड प्रेशर के मरीजों के लिए यह काफी लाभदायक माना जाता है. गौरतलब है कि कड़कनाथ के जीआई टैग के लिए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ प्रान्त आमने-सामने थे. हालांकि मध्य प्रदेश इसका जीआई टैग लेने में बाजी मार गया.  

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